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Jaipur Metro
Friday, 27 November 2015
Jaipur Metro got award first position in All over India
Jaipur Metro got first position in All over India
मुंबई और दिल्ली को पीछे छोड़ जयपुर मेट्रो NO.1
ट्रैक निर्माण में सबसे तेज, खूबसूरती में सबसे बेहतर और तकनीक में अव्वल ट्रेन के साथ शुरू हुई हमारी मेट्रो अब मुंबई और दिल्ली से भी आगे निकल गई है। केंद्र सरकार ने शुक्रवार को जयपुर मेट्रो को देश की सभी मेट्रो में नंबर वन के अवार्ड से नवाजा है।
यदि आप देश के अन्य शहरों की मेट्रो ट्रेनों में बैठ चुके हैं तो हम आपको बता दें कि जयपुर मेट्रो ट्रेन उन सब ट्रेनों से अलग है। यह उन ट्रेनों जैसी नहीं हैं, जिनमें आप पहले से बैठ चुके हैं। दिल्ली और मुंबई से भी खूबसूरत है। मजबूत है। सुरक्षित है और बेहतरीन तकनीक का इस्तेमाल किया गया है। यह एेसी तकनीक है, जिसमें ट्रेन कभी एक दूसरे से टकराएगी नहीं। किसी भयानक गलती के कारण आमने-सामने भी आकर तेजी से भिड़ जाए तो न तो ट्रैक से नीचे उतरेगी और न ही एक-दूसरे पर चढ़ेगी। आमने-सामने आकर झटके के साथ चिपक जाएगी। यानी सबसे बड़ी दुर्घटना के बावजूद भी सुरक्षित।
विकलांगों के लिए विशेष सीटें -
विकलांगों के लिए मेट्रो ट्रेन के डीटी यानी ड्राइवर ट्रेलर में आगे और पीछे की ओर दो-दो सीटों का इंतजाम किया गया है। ये गेट में प्रवेश के साथ लगी हैं जो फोर सीटर हैं। इन्हें विशेष रूप दिया गया है जिससे विकलांगों को परेशानी नहीं हो।
ट्रेन ऑपरेटर से यात्रियों का सीधा संपर्क-
किसी भी आपात स्थिति में यात्रियों का ट्रेन ऑपरेटर यानी मेट्रो ट्रेन के ड्राइवर से सीधा संपर्क हो सकता है। ट्रेन के हर कोच में प्रत्येक गेट के पास एक-एक स्मार्ट फोन लगाया गया है। फोन के साथ एक कैमरा भी लगा है, ताकि ड्राइवर बात करने वाले के चेहरे को देख सके। इनके ऑपरेट का तरीका भी यहां लिखा हुआ है। किसी भी घटना, विशेष परिस्थिति के दौरान यात्री इसका उपयोग कर सकें।
पब्लिक एड्रेसिंग सिस्टम और कंट्रोल
विमान में जिस तरह पायलट यात्रियों को समय-समय पर जानकारी देते रहते हैं, इसी तरह यहां भी ऑपरेटर पब्लिक को सीधे संबोधित कर सकते हैं। आवश्यकता पडऩे पर वह जानकारी उपलब्ध करा देगा। इसके अलावा ऑनलाइन पब्लिक एड्रेसिंग सिस्टम भी काम कर रहा है। इसमें ट्रेन कहां पहुंची, कौनसा स्टेशन छोड़ा, कौनसा आने वाला है। किस दिशा में आएगा। यह सब जानकारी अनाउंस की जाती है।
जयपुर मेट्रो के हर कोच में एंट्री-एक्जिट गेट के दोनों ओर सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं। उनका कंट्रोल ट्रेन ऑपरेटर के हाथ में दिया गया है। इससे जैसे ही कोई गड़बड़ होगी या अन्य घटना-दुर्घटना की स्थिति में आपरेटर ट्रेन को स्थिति के अनुकूल ऑपरेट कर सकेगा। यदि कोई पैसेंजर किसी अनुशासन तोड़ता है तो उसे भी आपरेटर सीसीटीवी कैमरे की मदद से रोक सकेगा। इसके लिए एक बड़ा मॉनिटर उसके केबिन में लगाया गया है। कैमरे का नियंत्रण डिपो में भी रहेगा।
फायर फाइटर्स व स्मोक प्रूफ
जयपुर मेट्रो में ट्रेन ऑपरेटिंग सिस्टम पूरी तरह ऑटोमेटिक है। इसमें दो ऑपरेटर लगाए गए हैं, जो सिस्टम पर निगरानी रखते हैं। पूरा कंट्रोल डिपो स्थिति कंट्रोल रूम व आपरेटर के पास दिया गया है। मेट्रो ट्रेन को वैसे पूर्णत: स्मोक प्रूफ बनाया गया है, जिससे किसी भी प्रकार की आग लगने की संभावना नगण्य है।
जैसे ही कहीं जरा भी धुआं जैसी स्थिति बनेगी, फायर फाइटिंग सिस्टम काम करने लगेगा और आग पर नियंत्रण हो सकेगा। कोच में कोई भी यात्री स्मोकिंग नहीं कर सकेगा। ट्रेन को टौक्सिक फ्री बनाया गया है। यहां स्मोकिंग करते ही अलार्म बजेगा, जिससे तुरंत ही होने वाली हलचल से ट्रेन रुक जाएगी और स्मोकर को पकड़ा जा सकेगा।
इको फ्रेंडली और पावर सेविंग
बीईएमएल ने जयपुर मेट्रो ट्रेन को ईको फ्रेंडली बनाया है। इसके साथ ही ऐसे उपकरण लगाए हैं, जिससे पॉवर की खपत कम से कम होगी। बल्कि पॉवर जेनरेशन के उपकरण लगाए गए हैं।
जयपुर मेट्रो में बैठने वाले प्रत्येक व्यक्ति को बेहद सुखद अनुभव होगा। विमान की तरह होगा मेट्रो का सफर। पूरी तरह साउंडप्रूफ, न बाहर की आवाज अंदर और न ही अंदर की आवाज बाहर। अंदर भी ट्रेन की आवाज नहीं होगी। केवल यात्रियों की बातचीत की ही आवाज सुनाई देगी।
लाइन रूट मैप
मेट्रो ट्रेन के प्रत्येक गेट के ऊपरी हिस्से में एक रूट मैप लगाया गया है। इससे पता चलेगा कि आप किस रूट पर चल रहे हैं और किस स्टेशन से गुजर रहे हैं। यह उसी तरह काम करेगा जैसे जीपीआरएस सिस्टम काम करता है।
लिफ्ट की तरह काम करेंगे डोर
ऊंची ईमारतों में काम आने वाली लिफ्ट के गेट की तरह ही मेट्रो के गेट काम करते हैं। वजह यह है कि जैसे ही कोई अवरोध दोनों गेटों के बीच आएगा, गेट तुरंत खुल जाएंगे। यानी गेट में किसी यात्री के फंसने जैसी स्थिति नहीं बनेगी। ये गेट सीधे ट्रेन ऑपरेटर से संपर्क में रहते हैं।
जयपुर के मेट्रो के सभी कोच एसी हैं। इनमें सफर करना बेहद आरामदायक है। कोचेज को हाई डिजाइन कंफर्ट बनाया गया है, जिससे न केवल बैठकर बल्कि खड़े सफर करने वाले प्रत्येक यात्री को दिक्कत नहीं होती। थकान महसूस नहीं होती।
बड़े कपलर
एक कोच को दूसरे से जोडऩे वाले कपलर भी अन्य मेट्रो के मुकाबले बड़े लगाए गए हैं। यानी दो कोच जहां जोड़े जाते हैं, उस स्थान पर भी कोच का ही रूप दिखते हैं। सामान्य ट्रेन के कोच के बीच के कपलर इतने छोटे होते हैं कि एक छोटी गैलेरी में से यात्री को दूसरे कोच में जाने में घबराहट होती है, लेकिन मेट्रो ट्रेन के कोच के बीच के ये कपलर इतने बड़े और कोच के शेप के ही बनाए गए हैं कि ऐसी कोई दिक्कत नहीं होती। अंतिम डिब्बे से पहले डिब्बे तक सभी कोच एक साथ दिखाई देते हैं।
वाटर प्रूफ भी
हमारी मेट्रो साउंड प्रूफ ही नहीं वाटर प्रूफ है। इसकी छत को इस प्रकार का रूप दिया गया है कि कितनी भी बारिश होने की स्थिति में एक बूंद भी पानी अंदर प्रवेश नहीं करता। साथ ही साइड वॉल्स भी इसी प्रकार की तकनीक की बनाई गई हैं, जहां से पानी अंदर नहीं आता।
पूरी ट्रेन में करीब 1230 यात्री
भारत अर्थ मूवर्स लिमिटेड बेंगलुरू में तैयार की गई मेट्रो ट्रेन में न्यूनतम 1230 यात्री सफर कर सकते हैं। एक ट्रेन में दो मोटर कार और दो ड्राइविंग ट्रेलर कार लगाए गए हैं। एक मोटर कार में 340 (सिटिंग 50 व स्टेंडिंग 290) और ड्राइविंग ट्रेलर कार में 315 (सिटिंग 43 व स्टेंडिंग 272) यात्री एक बार में सफर कर सकते हैं।
रुकते समय नहीं लगेगा झटका
मेट्रो ट्रेन के व्हील्स को इस प्रकार की तकनीक से बनाया गया है, ताकि रुकते समय या धीरे होते समय ट्रेन में यात्रियों को झटका नहीं लगता। व्हील्स में सामान्य ट्रेनों की तरह या दिल्ली मेट्रो के ट्रेन की तरह ब्रेक नहीं लगाए गए, बल्कि व्हील माउंटेड डिस्क ब्रेक लगाए गए हैं। जो धीरे होते समय झटका नहीं लगने देते।
टीवी स्क्रीन भी
यात्रियों की सुविधा के लिए मेट्रो ट्रेन में मॉनिटर (स्क्रीन) भी लगाए गए हैं। इस पर नियमित रूप से स्टेशनों की जानकारी के अलावा शहर और अन्य महत्वपूर्ण जानकारियां दी जाती हैं।
सिंगल पिलर पर मेट्रो स्टेशन
सभी स्टेशनों को एक कतार में बने खंभों पर बनाया गया है। इससे स्टेशन के लिए अलग से जमीन की जरूरत नहीं पड़ी। डिवाइडर पर बने खंभों पर ही स्टेशन बना दिया गया। इस तकनीक को कैंटीलीवर तकनीक कहते हैं। इसका प्रयोग देश में पहली बार जयपुर में ही हुआ। इससे भविष्य में सड़क की चौड़ाई बढ़ाने का विकल्प खुला रहता है।
जयपुर मेट्रो सबसे अधिक शार्प कर्व
जयपुर मेट्रो देश में पहली सबसे अधिक घुमावदार ट्रैक पर चल रही है। स्टेशन से सिंधी कैंप की तरफ निकलते ही 120 रेडियस का घुमाव है, जो सबसे शार्प कर्व है। इस घुमाव से यात्रियों और ट्रेन को कोई खतरा नहीं है, लेकिन यहां सबसे कम स्पीड 40 किमी प्रति घंटा की रफ्तार से चल रही है।
स्टेशन पर रेन वाटर हार्वेस्टिंग
पानी का सदुपयोग करने के लिए मेट्रो के हर पिलर और स्टेशन को रेन वाटर हार्वेस्टिंग से जोड़ा गया है ताकि बारिश के पानी का सदुपयोग हो सके। ट्रैक पर आने वाले बारिश के पानी को पिलरों में पाइप लगा कर नीचे जमीन तक पहुंचा गया है। पांच पिलर के पानी के लिए एक रेन वाटर हार्वेस्टिंग बनाया गया है।
80% फ्यूल की बचत
मेट्रो पॉल्यूशन फ्री है। चारदीवारी के लोगों की ओर से मेट्रो का अधिक उपयोग करने पर परकोटे और शहर के प्रदूषण में कमी होगी। यहां पर वाहनों का अधिक उपयोग करने पर प्रदूषण बढ़ता जा रहा है। इसका खर्चा कुल फ्यूल खर्च का 20 प्रतिशत ही आएगा। यानी 80 प्रतिशत फ्यूल की बचत।
Source - Jaipur Dainik Bhaskar News
http://www.bhaskar.com/news/c-10-2294102-jp0556-NOR.html
http://www.bhaskar.com/news/c-10-2294102-jp0556-NOR.html
Tuesday, 24 November 2015
Monday, 16 November 2015
Thursday, 5 November 2015
Five Months of Jaipur Metro
Jaipur Metro 5 Months statics and performance
Total Passengers traveled - 50 Lakh
Total KM - 2 Lakh
Total Round - 20 thousands
Total Loss - 7.25 Crore
Total revenue - 5.4 Crore
If we compare Jaipur metro passenger count in its initial five month run with Delhi Metro then Jaipur Metro passenger count is same as Delhi Metro 2002 . In face in comparison with Banglore and Chennai metro we are ahead.
Jaipur Metro 5 Months statics and performance |
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